The 5-Second Trick For hanuman chalisa
The 5-Second Trick For hanuman chalisa
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The festive day is noticed with devotees gathering at Hanuman temples in advance of dawn, and day extended spiritual recitations and story reading through about the victory of fine more than evil.[8]
हनुमान चालीसा लिरिक्स
व्याख्या – श्री हनुमान जी को जन्म से ही आठों सिद्धियाँ प्राप्त थीं। वे जितना ऊँचा चाहें उड़ सकते थे, जितना छोटा या बड़ा शरीर बनाना चाहें बना सकते थे तथा मनुष्य रूप अथवा वानर रूप धारण करने की उनमें क्षमता थी।
Hanuman leaps and finds the mountain. There, states Ramayana, Hanuman finds the mountain is full of lots of herbs. He isn't going to know which one particular to acquire. So, he lifts the entire Himalayan mountain and carries it across India to Lanka for Lakshmana. His enormous strength Therefore can help Lakshmana Recuperate from his wound.[60] This legend is the popular foundation for the iconography exactly where He's shown flying and carrying a mountain on his palm.[61]
व्याख्या – सामान्यतः जब किसी से कोई कार्य सिद्ध करना हो तो उसके सुपरिचित, इष्ट अथवा पूज्य का नाम लेकर उससे मिलने पर कार्य की सिद्धि होने में देर नहीं लगती। अतः यहाँ श्री हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिये भगवान श्री राम, माता अंजनी तथा पिता पवनदेव का नाम लिया गया।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार॥
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
◉ श्री राम नवमी, विजय दशमी, सुंदरकांड, रामचरितमानस कथा, हनुमान जन्मोत्सव, मंगलवार व्रत, शनिवार पूजा, बूढ़े मंगलवार और अखंड रामायण के पाठ में प्रमुखता से गाये जाने वाला चालीसा है.
राम काज करिबे को आतुर ॥७॥ प्रभु चरित्र get more info सुनिबे को रसिया ।
भावार्थ – आपके हाथ में वज्र (वज्र के समान कठोर गदा) और (धर्म का प्रतीक) ध्वजा विराजमान है तथा कंधे पर मूँज का जनेऊ सुशोभित है।
श्रुति रामकथा, मुख रामको नामु, हिएँ पुनि रामहिको थलु है ॥
SūkshmaSūkshmaMicro / minute / small rūpaRūpaForm / overall body / condition dhariDhariAssuming siyahiSiyahiSita, Wife of Lord Rama dikhāvāDikhāvāTo indicate up
“Putting the ring of Lord Rama inside your mouth, you jumped and flew over the Ocean to Lanka, there is no shock in that.”
भावार्थ – अन्त समय में मृत्यु होने पर वह भक्त प्रभु के परमधाम (साकेत–धाम) जायगा और यदि उसे जन्म लेना पड़ा तो उसकी प्रसिद्धि हरिभक्त के रूपमें हो जायगी।